बडादशैंको सातौं दिनः कालरात्रिको पूजा आराधना, यस्तो छ महत्व

बारादशाह के तहत सातवें दिन फूल लाए जाते हैं। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। कालरात्रि मां दुर्गा का सातवां रूप हैं।



यह रूप समय को भी नष्ट कर देता है। इसलिए उसे कालरात्रि कहा जाता है। उनका चरित्र उतना ही अंधकारमय है जितना कि अंधेरा।

बाल क्षतिग्रस्त हैं और माला बहुत चमकदार है। माँ कालरात्रि में आसुरी शक्तियों को नष्ट करने की शक्ति है।

उनका वाहन गधा है। मां कालरात्रि की तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में लोहे का हथियार है। तीसरे हाथ में अभय मुद्रा और तीसरे हाथ में वर-मुद्रा है।

माँ कालरात्रि की पूजा के दौरान भानु चक्र को जागृत किया जाता है। हर तरह का भय नष्ट हो जाता है। आपके पास जीवन की हर समस्या को पल में हल करने की शक्ति है।

यहाँ मंत्र है:

वम्पादोलसलोhह, लताकांतभूषण।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्ण, कालरात्रिभयंकरी।


 Flowers are brought in on the seventh day under Baradshah. On this day, Mother Kalratri is worshiped. Kalratri is the seventh form of Durga.

This form also destroys time. That is why he is called Kalratri. His character is as dark as darkness.

The hair is damaged and the garland is very shiny. Mother Kalaratri has the power to destroy demonic forces.

His vehicle is a donkey. Mother Kalaratri has three eyes and four arms. In one hand there is a sword and in the other hand there is an iron weapon. In the third hand there is Abhay mudra and in the third hand there is Var-mudra.

Bhanu Chakra is awakened during the worship of Mother Kalaratri. Every kind of fear is destroyed. You have the power to solve every problem of life in an instant.

Here is the mantra:

Vampadollasalloh, Latakantakbhushana.

Vardhanamurdhadhvaja Krishna, Kalaratribhayankari.

बडादशैंको सातौं दिनः कालरात्रिको पूजा आराधना, यस्तो छ महत्व बडादशैंको सातौं दिनः कालरात्रिको पूजा आराधना, यस्तो छ महत्व Reviewed by sptv nepal on October 23, 2020 Rating: 5

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